मंदसौर जिले में किसानों का बिजली संकट पर चौथे दिन भी विरोध जारी

गरोठ: खेती-किसानी के लिए आवश्यक बिजली आपूर्ति में लगातार हो रही कटौती को लेकर मंदसौर जिले के किसानों का आक्रोश चौथे दिन भी थम नहीं रहा है। किसानों ने बुधवार को गरोठ क्षेत्र के बोलिया गिरड विद्युत कार्यालय का घेराव किया, जबकि भानपुरा तहसील के ढाबला मनोहर गांव में किसानों ने गरोठ–भानपुरा मार्ग पर जाम लगाकर विरोध जताया।

लोड सेटिंग के नाम पर कटौती बंद करो – किसानों की मांग

किसानों का कहना है कि लोड सेटिंग के नाम पर मनमानी कटौती की जा रही है।

उनकी मांग है कि दिन के समय कम से कम 10 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि सिंचाई कार्य सुचारू रूप से चल सके।

किसानों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि किसानों को दिन में 10 घंटे बिजली दी जाएगी, लेकिन विद्युत विभाग के कर्मचारी इस वादे को निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

फसलों पर असर, सिंचाई ठप

किसानों का कहना है कि वर्तमान में नाममात्र की बिजली आपूर्ति हो रही है, जिससे रबी फसलों की सिंचाई पर बुरा असर पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में किसान डीजल पंपों का सहारा लेने को मजबूर हैं, जिससे लागत बढ़ रही है।

अधिकारियों ने दी सफाई  “10 घंटे बिजली देना संभव नहीं

प्रदर्शन के दौरान मौके पर पहुंचे डिवीजन ऑफिसर राजीव रंजन ने किसानों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि “तकनीकी कारणों से दिन में 6 घंटे और रात में 4 घंटे बिजली दी जा सकती है।” यह शेड्यूल उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर लागू किया गया है।

हालांकि, उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि लोड सेटिंग की अतिरिक्त कटौती तत्काल बंद कर दी जाएगी और किसानों की मांग वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी।

किसानों ने दी चेतावनी “जल्द समाधान नहीं तो फिर आंदोलन”

अधिकारी की समझाइश के बाद किसानों ने फिलहाल आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की,/लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस समाधान नहीं निकला, तो बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

प्रशासन सतर्क, कृषि पर मंडरा रहा संकट

जिला प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है और किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं, विद्युत विभाग के सूत्रों का कहना है कि ट्रांसफार्मर खराबी और लाइन ओवरलोडिंग जैसी समस्याएं बार-बार कटौती की वजह बन रही हैं।

बिजली संकट ने जिले की कृषि अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डालना शुरू कर दिया है, जहाँ रबी फसलें पूरी तरह सिंचाई पर निर्भर हैं।


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