झालावाड़।
जिला जेल के बाहर रक्षाबंधन के पर्व पर बड़ी संख्या में बहन अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंची। इसके लिए जेल प्रसाशन की और से भी मुख्य गेट पर राखी बंधवाने की व्यवस्था की गई। जेल में करीब 541 बंदी हैं, जिनमें 18 महिलाएं भी शामिल हैं। जेल प्रशासन की ओर से मुख्य गेट पर तीन-चार बंदी को एक साथ राखी बांधने की व्यवस्था की।
जिला जेल में सुबह साढ़े 9 बजे से ही बहनों का आना-जाना शुरू हो गया। जेल प्रशासन के सब इंस्पेक्टर जगदीश प्रसाद पुनिया ने बताया कि यहां आने वाले हर बहनों को राखी बांधने के लिए व्यवस्थित सुविधा दी जा रही है। यह दौर शाम तक जारी रहा। बहन भाइयों की कलाई पर राखी बांध सके, इसके लिए कोई 100 किलोमीटर दूर से आई, तो कोई 50 किलोमीटर दूर से झालावाड़ जेल पहुंची। बहन सलाखों के पीछे बंद अपने भाई को राखी बांध सके और उनका मीठा मुह करवा सके और आशीर्वाद दे सके कि दुबारा ऐसा कार्य न करे, जिससे भाई-बहन के बीच यह लोहे की सलाखें आए कुछ बहने अपने भाई को देखने आई।
कई दिनों से भाई को नहीं देखा, जब बहनों ने भाइयों को देखा तो बहनों की आंखें नम हो गई। जब बहनों ने भाई को राखी बांधी तो भाई जेल के अंदर बैठकर राखी बंधवा रहा था और बहन जेल के बाहर बैठकर राखी बांध रही थी। लोहे की सलाखें भाई बहन के बीच दीवार बन गई। कई कैदी कई सालों से बंद है, तो बहनों की सूरत देखने को तरस गए।
आज रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार पर बहन अपने भाई को कलाई पर राखी बांध रही है। आखें नम थी, लेकिन भाई को रक्षा सूत्र बांधकर उनसे वचन ले रही है कि जब बाहर आए तो नए जीवन की शुरुआत करे और अच्छी जिंदगी बिताए और अगले साल घर पर रक्षा बंधन मनाए। इस दौरान मुस्लिम बहन ने भी अपने भाई को राखी बांधी।
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