झालावाड़ के समीप के गांव धानोदी के ग्रामीण भगवान देवनारायण की जयंती के लिए गांव के लोगों से चंदे के रूप में गेहूं एकत्रित करके झालरापाटन की महाराजा हरिश्चंद्र कृषि उपज मंडी में बेचने आए थे। गेहूं की बिक्री से मिलने वाले पैसे का उपयोग धानोदी के देवनारायण मंदिर पर आयोजित कार्यक्रम में किया जाना था।ग्रामीण ट्रैक्टर में गेहूं भरकर महाराजा हरिश्चंद्र कृषि उपज मंडी पहुंचे, जहां गेट पास बनाने के बाद गेहूं को यार्ड में खाली करवा दिया गया। शंकरलाल नमक आड़तिये की पर्ची लगा दी गई, जिसको गेहूं बेचा जाना था। बाद में ग्रामीण गेहूं खाली करके लोट गए। कुछ देर बाद जब वापस मंडी में पहुंचे, तो उनका गेहूं वहां से गायब हो चुका था। ग्रामीणों ने जब पड़ताल शुरू की तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में ग्रामीण मंडी प्रशासन के दफ्तर पहुंचे और हंगामा करना शुरू कर दिया। तब जाकर कैमरे चेक करवाए गए। जिसमें मंडी में व्यापार करने वाले संदीप कासलीवाल एवं उसके मुंशी द्वारा गेहूं बेचे जाने की बात सामने आई।
ग्रामीणों का आरोप है कि मामले की परते खुलने के बाद मंडी प्रशासन ने भी ग्रामीणों को दबाने का प्रयास किया। व्यापारी द्वारा उन पर लगातार दबाव बनाया गया। ऐसे में गांव के अन्य लोग भी मौके पर पहुंच गए और मंडी सचिव एवं अन्य अधिकारियों से तीखी की बहस की। इसके बाद पूरे मामले में मंडी प्रशासन ने आखिरकार गलती स्वीकार कर ली और गेहूं बेचने वाले व्यापारी को दोषी मानते हुए उसका लाइसेंस निलंबित करने एवं उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने की बात कही है।



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