उपसंचालिका विनीता ने बताया कि जांच में जिन कॉलोनियों की परमिशन नहीं मिली है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। टीम ने मुख्य मार्ग और मालीपुरा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का निरीक्षण किया। मौके पर शिकायतकर्ता कमल हटवाल भी मौजूद रहे।
भैसोदा बन रहा अवैध कॉलोनियों का हब
नगर परिषद बनने से पहले पंचायतकाल में ही कृषि भूमि पर कॉलोनियां काटने का चलन भैसोदा में आम था। नगरीय क्षेत्र की करीब 75% आबादी अवैध कॉलोनियों में बस चुकी है। पिछले साल कॉलोनी संशोधन अधिनियम-2021 के तहत 2016 से पहले बसी 25 कॉलोनियों को वैध किया गया था, जिससे नगर परिषद को मूलभूत सुविधाएं देने में आसानी हुई।
लेकिन अब अधिकारियों की लापरवाही से नई अवैध कॉलोनियां फिर विकसित हो रही हैं। इनमें रजिस्ट्री और निर्माण कार्य बेरोकटोक जारी हैं। यही नहीं, जिन अधिकारियों की टीम ने पहले अवैध कॉलोनियों को वैध करने का सर्वे किया था, उनकी मौजूदगी में यह सब हो रहा है। इससे सिस्टम में बैठे अफसरों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
विकास शुल्क से परेशान लोग, फिर भी नहीं रुक रहा अवैध निर्माण
2016 से पहले बसी कॉलोनियों को वैध करने के बाद अब रहवासियों को विकास शुल्क का बोझ झेलना पड़ रहा है। शासन ने नियम तय किया है कि ऐसी कॉलोनियों में विकास कार्यों की लागत का 50% हिस्सा जनता से और 50% शासन से वसूला जाएगा। शासन और जनता दोनों का आर्थिक नुकसान झेलने के बावजूद प्रशासन नई अवैध कॉलोनियों पर रोक लगाने में नाकाम है। लोगों का कहना है कि प्रशासन की मिलीभगत से यह खेल जारी है और भैसोदा अवैध कॉलोनियों का गढ़ बनता जा रहा है।



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