देशभक्ति की धुन के साथ घर से देहदाता की अंतिम यात्रा नगर में निकाली गई एवं मुक्तिधाम पहुंचकर वहां पर बड़ी संख्या में उपस्थित नागरिकों के द्वारा नम आंखों से देहदाता को श्रद्धांजलि दी गई। धार्मिक रीति- रिवाज के संपादन के बाद पार्थिव शरीर को एंबुलेंस के माध्यम से शाइन इंडिया फाउंडेशन के डाॅ कुलवंत गौड़ एवं कमलेश गुप्ता ने परिवारजनों के साथ झालावाड़ लाकर झालावाड मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय पोरवाल, शरीर रचना विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल शर्मा एवं देहदान कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर व सीनियर प्रोफेसर डॉ मनोज शर्मा को सौंपा। पार्थिव देह को सौंपते समय वहाँ गिरधरी मोटवानी के भाई शंकर मोटवानी, मोहन मोटवानी, बहन ममता राझानी, अनीता राजवानी कविता राजवानी व मोटवानी परिवार के सभी सदस्य, पार्षद नितिन चौधरी, बालकिशन प्रजापति, राजू प्रजापति, शाइन इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़, कमलेश गुप्ता दलाल एवं मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक उपस्थित थे। एनाटॉमी डिपार्टमेंट के द्वारा पार्थिव शरीर को पुष्प हार समर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई एवं परिवार को प्रशस्ति-पत्र भेंट किया गया।
नगर संयोजक कमलेश गुप्ता दलाल के अनुसार शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त रिकॉर्ड 147 वाँ नेत्रदान है, जिसके माध्यम से 294 से अधिक नेत्रहीनों को नई रोशनी दी जा चुकी है। वही यह नगर से पहला देहदान हुआ है। इससे पहले भी मोटवानी परिवार से भांजी रिंकी रजवानी का नेत्रदान हो चुका है, वही मोहन मोटवानी, निधि मोटवानी एवं बहन ममता राझानी के द्वारा अपने देहदान का पहले से ही संकल्प किया है। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के देहदान कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर एवं एनाटॉमी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनोज शर्मा ने देहदानी परिवार का धन्यवाद देते हुए कहा कि शोक के समय में देहदान करने का निर्णय पूरे समाज और देश के लिए प्रेरणादायक व अनुकरणीय है।
देहदानी के भाई शंकर मोटवानी और मोहन मोटवानी ने संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज का आभार प्रकट करते हुए कहा कि देहदान के माध्यम से उनके भाई को अमर बनाने का कार्य किया है, मृत्यु के पश्चात हमारा शरीर अग्नि को प्राप्त करके नष्ट होना है ऐसे में यदि यह मानवता के कार्य में उपयोग हो तो यह श्रेष्ठ है।


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