झालावाड़: मेडिकल कॉलेज झालावाड़ सीमित संसाधनों के बावजूद अब ऑपरेशन के नए कीर्तिमान बना रहा है। इस माह यूरोलॉजी विभाग की ओर से अत्य आधुनिक ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक तकनीक से किए गए है। ऐसे में बिना किसी चीरफाड़ के मरीज के शरीर में ही रीकंस्ट्रक्शन करके ऑपरेशन किए है। इससे मरीजों में जल्द रिकवरी हुई है। इस प्रकार के ऑपरेशन मेडिकल उपकरणों से लैस बड़े महानगरों के अस्पताल ही करते है। जबकि पूर्व में पुरानी तकनीक से ऑपरेशन होने से मरीज को स्वस्थ्य होने में महीने तक का समय लग जाता था। यूरोलॉजी विभाग की ओर से नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए दूरबीन से ऑपरेशन करके दो मरीज की किडनी बचाई गई है। इन दिनों झालावाड़ मेडिकल कॉलेज की यूरोलॉजी विभाग में अत्यधिक दूरबीन के ऑपरेशन किए जा रहे हैं, जो कि बड़े शहरों में ही संभव है। लेकिन ऑपरेशन अब झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में भी सीमित संसाधनों के बावजूद भी लगातार किए जा रहे हैं। पिछले 10 दिनों में सफलतापूर्वक तीन अत्य आधुनिक लेपरोस्कोपिक ऑपरेशन किए गए हैं।
इसमें दो लेप्रोस्कोपिक एंडरसन हयने डिस मेम्बड पयलोप्लास्टी तथा एक लेप्रोस्फेरिक नेफ्रोटॉमी ऑपरेशन किए गए हैं। 47 वर्षीय खेड़ी जीरापुर एमपी निवासी महिला के बाएं तरफ के किडनी में जन्मजात रुकावट होने से मरीज इलाज ले रही थी। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था। झालावाड़ के यूरोलॉजी विभाग में दिखाने पर उन्हें बताया कि गुर्दा खराब हो रहा है।तथा बाई किडनी कम काम कर रही है।इसके लिए पहले मरीज की किडनी बचाने के लिए बाई तरफ दूरबीन से परक्यूटनेस नेफ्रोस्टॉमी ट्यूब बिना चीर फाड़ के डाली गई। इससे किडनी ने काम करना शुरू कर दिया। इसके कारण किडनी को निकालने की आवश्यकता नहीं हुई तथा बिना चीर फाड़ के अत्यधिक लेप्रोस्कोपी ए.एच.डी पायलोंप्लास्टी पद्धति से किडनी की रुकावट को खोला गया। अभी मरीज स्वस्थ है तथा किडनी पहले की तरह काम कर रही है।
इसी प्रकार दूसरा ऑपरेशन झालरापाटन के 70 साल रजाक मोहम्मद काफी लंबे समय से किडनी में पथरी एवं एक किडनी के ब्लॉकेज की समस्या से पीड़ित है।उनकी जांच की तो पता चला कि किडनी एक तरफ बंद पड़ी किडनी में मवाद पड़ गई। इससे उनके किडनी में परकुटेनिस नेफ्रॉस्ट्रामी ट्यूब डाली गई तथा मवाद निकालने के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो गया और किडनी से यूरिन भी बनने लगा है। लेकिन कुछ समय बाद फिर से किडनी में वापस मवाद बनने लगे गया। इस पर यूरोलॉजी विभागध्यक्ष डॉ विशाल नेनीवाल ने किडनी निकालने की सलाह दी। बार- बार मवाद बनने से बाई किडनी के आस-पास के अंग किडनी से चिपक जाते हैं, तो किडनी निकालना भी काफी चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन मरीज का लेप्रोस्कॉनिक पद्धति के किडनी का सफल ऑपरेशन किया तथा मरीज की दूसरी किडनी अब सही काम कर रही है। वहीं तीसरे मरीज 30 वर्षीय मोनू कुमार निवासी मोईकला जिला कोटा के भी पेशाब में जलन एवं पेटदर्द की शिकायत से अस्पताल में भर्ती हुआ था। जांचों में सामने है कि बाई तरफ की किडनी बंद है। इससे मरीज को परेशानी आ रही है। इलाज से पेशाब में जलन बंद तो हो गई और राहत मिल गई,लेकिन किडनी की रुकावट नहीं खुली तो यूरोलॉजी विभाग प्रभारी डॉक्टर विशाल नेनीवाल ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दी, मरीज ने समय रहते ऑपरेशन करवा लिया, इससे मरीज की किडनी को भविष्य में खराब होने से बचाया जा सका। तीनों मरीजों का अत्यधिक लेप्रो स्कोपिक पद्धति से बिना चीरफाड़ के ऑपरेशन किया है।
इस टीम ने किया सहयोग
ऑपरेशन के दौरान डॉ.विशाल नेनीवाल के अलावा डॉ. चमन नागर,डॉ. आशीष, एनेस्थीसिया से डॉ.राजननन्दा,डॉ. सुधीर शर्मा,डॉ. रक्षा, डॉ सतीश ,डॉ मोहन ,मेडिकल स्टॉफ कीर्ति मित्तल, कन्हैया लोहार , दिलीप कलाल ,मुकेश सामरिया, रोहित कश्यप, तूफान सिंह ने सहयोग किया।
7 माह में कर दिए 300 ऑपरेशन
यूरोलॉजी विभाग की ओर से झालावाड़ जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीज का 7 माह में करीब 300 से अधिक सभी प्रकार के ऑपरेशन दूरबीन के माध्यम से निशुल्क किए गए हैं।
लेप्रोस्कोपिक तकनीक से कई फायदे
लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन के फायदे अधिक है, इसमें चीरा कम लगता है, इससे मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। मरीज जल्दी काम पर लौट सकता है। मरीज को दर्द कम होता है। अस्पताल में भी कम रुकना पड़ता है। और बार-बार आंतों में रुकावट नहीं होती है। वही ब्लडलॉस कम होता है, तथा कॉस्मेटिक भी परिणाम अच्छे है।


Post a Comment