माँ से बिछड़े करण को मिला सहारा, 'साई आश्रय' ने मिलाया परिवार से,दर्द और तन्हाई की दास्तान

झालावाड़: राजस्थान के झालावाड़ में, जहां ज़िंदगी की रफ्तार अक्सर बेघर और बेसहारा लोगों को पीछे छोड़ जाती है, वहां एक दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है। गढ़ पैलेस के पास 1 जनवरी 2024 को एक युवा लड़का करण नाथ लावारिस और बुरी तरह से झुलसी हुई हालत में पड़ा मिला। उसकी आँखों में डर था और शरीर पर घाव, वो उन हज़ारों बेबस चेहरों में से एक था जो दिन भर भीख मांगकर पेट भरते हैं और रात को फुटपाथ पर अपनी किस्मत आजमाते हैं। लेकिन करण की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

मुख्यमंत्री पुनर्वास गृह (साई आश्रय), जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहयोग से योगिता उद्यमिता विकास संस्था द्वारा चलाया जाता है। उसके लिए आशा की नई किरण बनकर सामने आया। ये वो जगह है जहाँ लगभग 75 बेसहारा और निराश्रित लोगों को न सिर्फ छत मिलती है, बल्कि एक घर जैसा माहौल भी दिया जाता है। संस्थान की संचालिका, प्रतिमा ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है, उन्हें सम्मान के साथ जीने का मौका देना है। संस्थान के रेस्क्यू टीम जिसमें सुखराम जाट, संतोष गुर्जर और भूरा शामिल थे। उन्होंने करण को नया जीवन दिया। उसकी देखभाल की गई। उसका इलाज हुआ और जब वो ठीक हो गया, तो संस्थान ने उसके परिवार की तलाश शुरू कर दी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक रामनिवास यादव के निर्देशन में टीम ने कड़ी मेहनत की और आखिरकार करण को उसकी मां से मिलाया।

दो साल बाद अपने बेटे को सामने पाकर मां की भावनाएं उमड़ पड़ीं। उनकी आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अपने बेटे को सीने से लगाकर उन्होंने संस्थान और विभाग का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया। यह कहानी एक बात साबित करती है कि इंसानियत और दयालुता आज भी जिंदा है और सही दिशा में किए गए छोटे प्रयास भी किसी की ज़िंदगी को पूरी तरह बदल सकते हैं।


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