श्री माता महालक्ष्मी मंदिर में सर्व वैभव महालक्ष्मी यज्ञ, स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा और अन्नकूट महोत्सव संपन्न

गंगधार: छोटी कालीसिंध नदी के तट पर स्थित श्री गौड़ ब्राह्मण समाज की आराध्या कुलदेवी श्री माता महालक्ष्मी मंदिर में भक्ति और वैदिक परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिला। मंदिर परिसर में तीन दिवसीय सर्व वैभव महालक्ष्मी यज्ञ, स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा, ध्वजादंड आरोहण और अन्नकूट महोत्सव विधिवत संपन्न हुआ। आयोजन समिति के समन्वयक पंडित मथुरेश शर्मा ने बताया कि मंदिर का समृद्ध और प्राचीन इतिहास रहा है। मंदिर में सुरक्षित पुरातन दस्तावेज़ों और बर्तनों पर अंकित संवत के अनुसार यह मंदिर 177 वर्ष पुराना है। वैभवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नव-निर्मित विराट शिखर पर स्वर्ण कलश की प्रतिष्ठा की गई।

वैदिक परंपराओं के बीच हुआ आयोजन

31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक आयोजित इस यज्ञ को वैदिक विद्वान आचार्य डॉ. देवेंद्र दुर्गाशंकर शर्मा धारियाखेड़ी के प्रधान आचार्यत्व में सम्पन्न किया गया।

2 नवंबर को माता महालक्ष्मी जी का महाअभ्यंग स्नान सम्पन्न हुआ, जिसमें केसर, चंदन, बेसन, तिल का तेल, मंजिष्ठा, सारिवा, यष्टिमधु और स्वर्णभस्म जैसे दुर्लभ औषधीय तत्वों का उपयोग किया गया।

प्रमुख यजमान व भक्तों की सहभागिता प्रतिष्ठा महोत्सव के मुख्य यजमान डॉ. जगदीश चंद्र शर्मा (धारियाखेड़ी) रहे, जबकि सह यजमान पंडित मुकुटलाल जोशी (मुंबई) एवं महाभिषेक के मनोरथी पंडित अशोक वशिष्ठ (रतलाम) थे। अन्नकूट महोत्सव के मनोरथी स्व. बालकृष्ण जोशी परिवार, बेराठी कॉलोनी इंदौर रहे।

कलश यात्रा और भव्य स्वागत

आयोजन के तहत हजारीबाग हनुमान मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई, जो नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई माता महालक्ष्मी मंदिर पहुँची। मार्ग में श्रद्धालुओं और नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर यात्रा का स्वागत किया।

स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा और अन्नकूट प्रसादी सोमवार दोपहर अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा और ध्वजादंड आरोहण सम्पन्न हुआ। इसके पश्चात महा आरती और छप्पन भोग अर्पण कर अन्नकूट महोत्सव सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के अंत में श्रद्धालुओं को महा प्रसादी वितरित की गई।

मंदिर समिति का संकल्प साकार

इस विराट आयोजन को सफल बनाने में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष पंडित हेमंत भट्ट (पेटलावद) का मार्गदर्शन और प्रधान अर्चक पंडित सुरेशचंद्र शर्मा का सानिध्य रहा।

भक्ति, वैदिक परंपरा और सांस्कृतिक आस्था के इस अद्भुत संगम ने गंगधार में श्रद्धा का अद्वितीय वातावरण निर्मित किया। स्वर्ण कलश की आभा में निखरा महालक्ष्मी मंदिर अब नगर की धार्मिक पहचान बन गया है।


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