ओवरब्रिज निर्माण में रेलवे आगे, सेतु विभाग पिछड़ा, निर्धारित समय सीमा पूरी, फिर भी 30 प्रतिशत ही हुआ काम

भैसोदामंडी: भैसोदा–भानपुरा रेलवे फाटक पर निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज के कार्य में रेलवे की प्रगति मध्यप्रदेश सरकार के सेतु निर्माण विभाग की तुलना में कहीं आगे नजर आ रही है। जहाँ रेलवे अपने हिस्से का निर्माण लगभग पूरा करने की स्थिति में है, वहीं सेतु निर्माण विभाग की तय समय-सीमा समाप्त होने के बावजूद कार्य मात्र 20 से 30 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। शनिवार को रेलवे की ओर से एक निरीक्षण दल निर्माण स्थल पर पहुँचा। रेलवे अधिकारियों ने मौके पर मौजूद इंजीनियरों एवं संबंधित ठेका फर्म के सुपरवाइजर को कार्य को समय पर एवं गुणवत्ता के साथ पूरा करने के सख्त निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान रेलवे पटरी से सटे निर्माण प्लांट पर की गई सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों ने गंभीर आपत्ति जताई। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि निर्माण स्थल पर रेलवे लाइन की सुरक्षा के लिए केवल बांस-बल्लियों और प्लास्टिक रिबन का उपयोग किया गया है, जो पूरी तरह असुरक्षित है। इस पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि इस कारण कोई पशु या अन्य अवरोध रेलवे ट्रैक पर पहुँचता है और दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी ठेका कंपनी की होगी।

गौरतलब है कि इस ओवरब्रिज का निर्माण रेलवे एवं मध्यप्रदेश शासन के सेतु निर्माण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। रेलवे सीमा में आने वाले हिस्से का ठेका भोपाल की विजया एनर्जी के पास है, जबकि एमपी सीमा में आने वाले हिस्से का निर्माण इंदौर की एसकेएम रामदीन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। लगभग 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है।

रेलवे का काम तय समय के साथ, सेतु विभाग पिछड़ा

जानकारी के अनुसार रेलवे से जुड़े निर्माण कार्य की अंतिम समय-सीमा मार्च 2026 तय है, लेकिन रेलवे का अधिकांश कार्य लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है। वहीं सेतु निर्माण विभाग को यह कार्य नवंबर 2025 तक पूरा करना था, जिसकी समय-सीमा पिछले माह ही समाप्त हो चुकी है।

सेतु निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार समय-सीमा पूरी होने के बावजूद कार्य अधूरा रहने पर संबंधित ठेका कंपनी पर 2 से 3 प्रतिशत तक पेनल्टी लगाई जा सकती है। बताया जा रहा है कि पहले कार्य पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर किसी अन्य फर्म को दिया गया था, जिससे प्रगति धीमी रही। हाल ही में मूल ठेका कंपनी ने स्वयं कार्य संभाला है।

एप्रोच सड़क बनी परेशानी का कारण

ओवरब्रिज निर्माण के चलते आमजन की आवाजाही के लिए बनाई गई एप्रोच सड़क भी गंभीर समस्या बनी हुई है। सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं, जिससे आए दिन लोग फिसलकर गिर रहे हैं और चोटिल हो रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार औसतन महीने में 10 से 12 दुर्घटनाएँ हो रही हैं।

आरोप है कि एप्रोच सड़क के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है और इसकी देखरेख के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहा। लोगों ने जल्द सुधार कार्य की मांग की है ताकि दुर्घटनाओं पर रोक लग सके।


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