गौरतलब है कि इस ओवरब्रिज का निर्माण रेलवे एवं मध्यप्रदेश शासन के सेतु निर्माण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। रेलवे सीमा में आने वाले हिस्से का ठेका भोपाल की विजया एनर्जी के पास है, जबकि एमपी सीमा में आने वाले हिस्से का निर्माण इंदौर की एसकेएम रामदीन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। लगभग 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है।
रेलवे का काम तय समय के साथ, सेतु विभाग पिछड़ा
जानकारी के अनुसार रेलवे से जुड़े निर्माण कार्य की अंतिम समय-सीमा मार्च 2026 तय है, लेकिन रेलवे का अधिकांश कार्य लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है। वहीं सेतु निर्माण विभाग को यह कार्य नवंबर 2025 तक पूरा करना था, जिसकी समय-सीमा पिछले माह ही समाप्त हो चुकी है।
सेतु निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार समय-सीमा पूरी होने के बावजूद कार्य अधूरा रहने पर संबंधित ठेका कंपनी पर 2 से 3 प्रतिशत तक पेनल्टी लगाई जा सकती है। बताया जा रहा है कि पहले कार्य पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर किसी अन्य फर्म को दिया गया था, जिससे प्रगति धीमी रही। हाल ही में मूल ठेका कंपनी ने स्वयं कार्य संभाला है।
एप्रोच सड़क बनी परेशानी का कारण
ओवरब्रिज निर्माण के चलते आमजन की आवाजाही के लिए बनाई गई एप्रोच सड़क भी गंभीर समस्या बनी हुई है। सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं, जिससे आए दिन लोग फिसलकर गिर रहे हैं और चोटिल हो रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार औसतन महीने में 10 से 12 दुर्घटनाएँ हो रही हैं।
आरोप है कि एप्रोच सड़क के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है और इसकी देखरेख के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहा। लोगों ने जल्द सुधार कार्य की मांग की है ताकि दुर्घटनाओं पर रोक लग सके।



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